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श्रावण / सावन सोमवार | Shravan / Sawan Somvar

Sawan SomvarSawan Somvar

Sawan Somvar

सावन या श्रावण महीने हिंदू कैलेंडर के अनुसार पांचवा महीना है। श्रावण मास भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए शुभ माना जाता है। श्रावण माह के दौरान भगवान शिव को खुश करने के लिए भक्त सोमवार के दिन उपवास रखते हैं। हर साल सावन सोमवार (Sawan Somvar) पर भगवान शिव की पूजा करके अति शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। श्रावण माह में कई त्यौहार जैसे रक्षाबंधन (Raksha Bandhan), हरियाली तीज (Hariyali Teej) और नाग पंचमी (Nag Panchami) मनाये जाते हैं ।

मौसम परिवर्तन के संदर्भ में सावन का महीना बहुत ही सुखद व सुंदर महीना माना जाता है। गर्मियों के गर्म मौसम के बाद, पूरे विश्व में सावन के महीने में शांत हवाओं और बारिश से राहत महसूस होती है।

आकाश बादलों से भरा होता है, खेतों में हरी घास और खूबसूरत फूलों से भरा होता है। बरसात का मौसम सावन के महीने में शुरू होता है और ऐसा लगता है कि पूरे ब्रह्माण्ड ने भगवान शिव (Shiv) की पूजा बारिश के रूप में उस पर पानी डालने से की है।ऐसा लगता है कि सभी पक्षी और कीड़े भगवान शिव को बधाई देने के लिए बाहर आते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन सोमवार (Sawan Somvar) के दिन भगवान शिव का व्रत रखना चाहिए। शिवलिंग (Shivling) या शिव प्रतिमा का गंगा जल या दूध से अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को “बेलपत्र” अतिप्रिय होते हैं इसलिए पूजा की सामग्री में बेलपत्र अवश्य रखना चाहिए।

सावन सोमवार पूजन विधि (Sawan Somvar Pujan Vidhi)

1. प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर शिव जी के मंदिर जाकर या घर पर ही पूजा करते हैं।
2. इस व्रत में भगवान शिव व माता पार्वती का ध्यान करते हुए पूजन करना चाहिए।
3. सावन के प्रत्येक सोमवार को गणेशजी, शिवजी, पार्वतीजी और नंदी जी की पूजा करने विधान हैं।
4. शिव जी का जल,गंगाजल ,दूध , दही, घी, शहद से अभिषेक किया जाता हैं।
5. तत्पश्चात ऊँ नमः शिवाय मंत्र के द्वारा चन्दन,रोली, चावल, हल्दी, कलावा, वस्त्र, फूल,माला, बेलपत्र, अर्पण किया जाता हैं।
6. इसके पश्चात शिव जी को फल,मिष्ठान,धतूरा, पान, लौंग, इलाइची, सुपारी,पंचमेवा, पंचामृत, कमलगट्टा व दक्षिणा अर्पण किया जाता हैं ।
7. धूप, दीपक, कर्पूर से आरती करके भजन-कीर्तन करना चाहिए। पूजन के पश्चात कथा सुननी चाहिए।
8. घर परिवार में बांटने के पश्चात स्वयं ग्रहण करें।
9. दिन में केवल एक समय नमक रहित भोजन ग्रहण करें।
10. श्रद्धापूर्वक व्रत करें। अगर पूरे दिन व्रत रखना सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत कर सकते हैं।

सावन सोमवार व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha)

स्कंद पुराण के अनुसार जब सनत कुमार ने भगवान शिव से पूछा कि आपको श्रावण मास इतना प्रिय क्यों है? तब शिवजी ने बताया कि देवी सती (Sati) ने भगवान शिव (Shiv) को हर जन्म में अपने पति के रूप में पाने का प्रण लिया था। लेकिन अपने पिता दक्ष प्रजापति के भगवान शिव को अपमानित करने के कारण देवी सती ने योगशक्ति से शरीर त्याग दिया।

इसके पश्चात उन्होंने दूसरे जन्म में पार्वती नाम से राजा हिमालय और रानी नैना के घर जन्म लिया। उन्होंने युवावस्था में श्रावण महीने में ही निराहार रहकर कठोर व्रत द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया।

 

 

इसीलिए मान्यता है कि श्रावण में निराहार रह भगवान शिव का व्रत रखने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। कुंआरी लड़कियों और लड़कों को इस महीने विशेष रूप से व्रत करने से शादी के योग बनते हैं। साथ ही श्रावण मास में व्रत रखने से भगवान शिव जीवन के सभी कष्टों का निवारण करते हैं।

सावन सोमवार व्रत का महत्त्व (Importance of Sawan Somvar Vrat)

1. श्रावण मास में व्रत रखने से भगवान शिव जीवन के सभी कष्टों का निवारण करते हैं।
2. भगवान शिव वांछित पति के साथ अविवाहित लड़कियों को आशीर्वाद देते हैं।
3. भगवान शिव विवाहित महिलाओं को लंबे जीवन और पति और पुत्रों की आशीर्वाद देते हैं।
4. भगवान शिव अपने भक्तों की सभी इच्छाओं और इच्छाओं को पूरा करते हैं।
5. भगवान शिव अपने भक्तों को धन और समृद्धि के साथ आशीष देते हैं।