Vedic Poojan

क्यों है गणेश चतुर्थी पर चन्द्र-दर्शन का निषेध? (Why Chandra-Darshan is a taboo on Ganesh Chaturthi?)

क्यों है गणेश चतुर्थी पर चन्द्र-दर्शन का निषेध? (Why Chandra-Darshan is a taboo on Ganesh Chaturthi?)क्यों है गणेश चतुर्थी पर चन्द्र-दर्शन का निषेध? (Why Chandra-Darshan is a taboo on Ganesh Chaturthi?)

क्यों है गणेश चतुर्थी पर चन्द्र-दर्शन का निषेध? (Why Chandra-Darshan is a taboo on Ganesh Chaturthi?)

क्यों है गणेश चतुर्थी पर चन्द्र-दर्शन का निषेध? (Why Chandra-Darshan is a taboo on Ganesh Chaturthi?)

गणेश चतुर्थी पर चंद्र-दर्शन निषेध है (Chandra-Darshan is a taboo on Ganesh Chaturthi) क्योंकि इस रात्रि को चंद्रमा को देखने से झूठे आरोप लगते हैं। भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्र दर्शन करने पर स्यमन्तक मणि की चोरी मिथ्या कलंक लगा था।

जैसा कि भारतीय शास्त्रों में वर्णित है-
भाद्रशुक्लचतुर्थ्यायो ज्ञानतोअज्ञानतोअपिवा।
अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्रभशदु:खभाग ॥
“भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को जानबूझ कर या अनजाने में ही चन्द्रमा का दर्शन करेगा वो अभिशप्त होगा, उसे बहुत दुःख उठाना पड़ेगा।”

गणेश पुराण (Ganesh Puran) में गणेश जी का वचन है कि भाद्र शुक्ल की चतुर्थी को चन्द्रमा (Moon) देख लेने पर कलंक अवश्य लगता है।

चंद्र- दर्शन दोष का निवारण (Prevention of Chandra-Darshan fault)

यदि भूलवश या जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख जाता है तो नीचे दिए उपायों में से कोई भी उपाय कर सकते है-

सिहः प्रसेनम्‌ अवधीत्‌, सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥
ब्रह्मावैवर्त् पुराण् (अध्याय् ७८)

‘सुन्दर सलोने कुमार ! इस मणि के लिये सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है, अतः तुम रो‌ओ मत । अब इस स्यमन्तक मणि  पर तुम्हारा ही अधिकार है।’

श्री गणेश द्वारा चन्द्रमा को दिए श्राप की कथा (The story of the curse given to the Moon by Shri Ganesh)

भगवान गणेश को गज का मुख लगाया गया तो वे गजवदन कहलाए और माता-पिता के रूप में पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा करने के कारण अग्रपूज्य हुए। प्राचीन समय की बात है भगवान गणेश जी मूषक पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। आचानक वह फिसल गये तो समीप से ही चन्द्रमा जा रहे थे वे जोर- जोर से हंसने लगे। उनके हास-परिहास पर गणेश जी क्रोधित हो गए और चन्द्रमा को श्राप दे दिया कि,”चन्द्र! आज से तुम काले हो जाओगे। अब तुम किसी के देखने योग्य नहीं रह जाओगे और यदि किसी ने तुम्हें देख लिया तो पाप का भागी होगा।” चंद्रमा को अपनी भूल का अहसास हुआ।

उसने श्रीगणेश से क्षमा मांगी तो गणेशजी ने कहा सूर्य के प्रकाश को पाकर तुम एक दिन पूर्ण होओगे यानी पूर्ण प्रकाशित होंगे। लेकिन आज का यह दिन तुम्हें दंड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इस दिन को याद कर कोई अन्य व्यक्ति अपने सौंदर्य पर अभिमान नहीं करेगा। जो कोई व्यक्ति आज यानी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा। इसीलिए भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं किया जाता।