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नवरात्रि उपवास का धार्मिक और चिकित्सीय महत्त्व / Religious and medicinal significance of Navratri Fast

Medicinal & Religious Significance of NavratriMedicinal & Religious Significance of Navratri

Medicinal & Religious Significance of Navratri

ऋतुओं के संधिकाल में नवरात्रों का आयोजन वास्तव में मनुष्य के बाहय और आंतरिक परिवर्तन में संतुलन स्थापित करना है। नवरात्रों का आयोजन हमे ये अवसर प्रदान करता है कि हम परिवर्तन को स्वीकार कर न केवल अपना अस्तित्व बचाएं रखे निरंतर जीवनशैली में सामंजस्य स्थापित कर आगे बढ़ते रहें ।

नवरात्रों के दौरान किये जाने वाले अनुष्ठान, व्रत तथा पूजा – अर्चना आदि पर्यावरण की शुद्धि के साथ – साथ मनुष्य की शरीर शुद्धि और भाव शुद्धि करने में भी सक्षम हैं । नवरात्रों के दौरान व्रत का भी यही उद्देश्य है कि व्रत के द्वारा मनुष्य शरीर कि शुद्धि करे । शरीर कि शुद्धि के बिना मन या भाव की शुद्धि संभव नहीं । नवरात्रों के दौरान सभी प्रकार के अनुष्ठान शरीर और मन की शुद्धि में सहायक होते हैं । दरअसल, नवरात्र के समय शरद ऋतु समाप्ति की तरफ होती है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है । ऋतु में आये इस बदलाव की वजह से शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) उत्पन्न होता है । पित्त का प्रकोप बढ़ जाता है, जो पाचन तंत्र को कमजोर करता है । ऐसे में किये गए व्रत से न केवल पित्त का शमन होता है, बल्कि यह पाचन प्रणाली की भी सुरक्षा करता है । यानि नवरात्र के दौरान उपवास रख कर शरीर की शुद्धि की जाती है । व्रत रखने से तंत्रिका तंत्र संतुलित होता है । ऊर्जा का स्तर बढ़ता है । संवेदी क्षमताओं में वृद्धि भी होती है । मंदाग्नि नष्ट होती है । आँतों में भोजन रस को सोखने की क्रिया सुचारु होती है ।

जीवन में नियम और अनुशासन जरूरी है । उक्त दोनों के बिना न धर्म मार्ग मिलता है और न स्वास्थ्य लाभ । केवल मिथ्या का अहसास होता है । उपवास का धार्मिक और चिकित्सीय कारण महत्त्वपूर्ण है । सर्वप्रथम उपवास से बुरे विचारों का शमन होता है । नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है । शरीर का शोधन होता है । विषाक्त तत्व शरीर से बहार होते हैं और शरीर निरोगी होता है । व्रत रखने से पहले यह निर्णय अवश्य कर लें कि व्रत किस तरह का होगा – फलाहार, अल्पाहार या तरल प्रदार्थ (केवल दूध या जूस का सेवन) । उपवास में आप रोटी के लिए कुटटू या सिंघाड़े के आते का इस्तेमाल कर सकते हैं । खाने में सेंधा नमक का प्रयोग करें । सबुतदाने कि खीर या खिचड़ी, सीताफल या आलू कि रस वाली सब्जी, सूखे मेवे, दूध, नारियल पानी आदि ले सकते हैं । शरीर में पानी कि मात्रा का विशेष ध्यान रखें । पानी काम होना, कोई भी समस्या पैदा कर सकता है । अगर शारीरिक अवस्था सही नहीं है, तो उपवास रखने से पहले डॉक्टर कि सलाह जरूर लें ।