विनम्रता की गहराई

एक बार अब्राहम लिंकन अपने गांव के समीप एक सभा को सम्बोधित कर रहे थे । भाषण के बीच में ही एक महिला उठकर बोली- अरे, यह राष्ट्रपति है? यह तो मेरे गांवके मोची का बेटा है ।

अपने प्रति ये अपमानजनक शब्द सुनकर लिंकन उस महिला से बड़े ही विनम्रता से बोले -‘मैडम अपने बहुत अच्छा किआ जो उपस्थित जनता में मेरा यथार्थ परिचय करा दिया । मैं वही मोची का बेटा हूँ । क्या मैं आपसे एक बात पूछ सकता हूँ? महिला बोली -‘अवश्य’। तब लिंकन ने पुछा – क्या आप यह बताने कष्ट करेगी कि मेरे पिता ने आपके जूते आदि अच्छे से मरम्मत किये थे? आपको उनके काम में कोई शिकायत तो नहीं मिली ?
उस महिला ने सफाई देते हुए कहा-‘नहीं नहीं, उनके कार्य में कोई शिकायत नहीं मिली । वे अपना काम अच्छी तरह से करते थे।
तब लिंकन ने उत्तर दिया -‘ मैडम , जिस प्रकार मेरे मोची पिता ने काम में कभी आपको शिकायत का मौका नहीं दिया । उसी प्रकार मैं भी आपको आश्वस्त करता हूँ कि आपने मुझे राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का जो मौका दिया है, उसे मैं बड़ी ही कुशलता से करूँगा।और मेरी यह कोशिश रहेगी कि मेरे कार्य में कभी आपको शिकायत का कोई मौका न मिले।

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