Sundar kand – Importance, Significance & benefits (सुन्दरकाण्ड के महत्त्व तथा उसके लाभ):
सुन्दरकाण्ड (Sundar kand) हिन्दुओं की धार्मिक पुस्तक रामायण का 5वां व् सबसे सुन्दर और आनंद देने वाला पाठ है। इसमें हनुमान जी के चमत्कारों तथा उनकी महिमा का वर्णन किया गया है। सुन्दरकाण्ड वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में रचा गया था।
सुन्दरकाण्ड (Sundar kand) का नाम सुन्दरकाण्ड क्योँ रखा गया?
हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटांचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटांचल पर्वत यानि यहाँ तीन पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत, जहाँ के मैदान में युद्ध हुआ था। दूसरा नील पर्वत, जहाँ राक्षसों के महल बेस हुए थे। तीसरे पर्वत का नाम है सुन्दर पर्वत, जहाँ अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस कांड की सबसे प्रमुख घटना यहीं हुई थी, इसलिए इसका नाम सुन्दरकाण्ड रखा गया।
शुभ अवसरों पर सुन्दरकाण्ड (Sundar kand) का पाठ क्योँ किया जाता है?
शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुन्दरकाण्ड का पाठ करने का विशेष महत्त्व मन गया है।
जबभी किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियाँ हों, कोई काम नहीं बन पा रहा हो, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुन्दरकाण्ड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं। कई ज्योतिषी तथा संत भी विपरीत परिस्थितिओं में सुन्दरकाण्ड करने की सलाह देते हैं।
सुन्दरकाण्ड (Sundar kand) का पाठ विशेष रूप से क्योँ किया जाता है?
यह माना जाता है की सुन्दरकाण्ड के पाठ से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। सुन्दरकाण्ड के पाठ से बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुन्दरकाण्ड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुखः दूर हो जाते हैं। इस काण्ड में हनुमान जी ने अपनी बुद्धि हुए बल से सीता जी की खोज की है, इसी वजह से सुन्दरकाण्ड को हनुमान जी की सफलता के लिए याद किया जाता है।
सुन्दरकाण्ड (Sundar kand) से क्योँ मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ?
वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड की कथा सबसे अलग है। सम्पूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। सुन्दरकाण्ड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का काण्ड है। मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला काण्ड है। सुन्दरकाण्ड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
सुन्दरकाण्ड (Sundar kand) एक श्रेष्ठ और सरल उपाय है, इसी वजह से काफी लोग सुन्दरकाण्ड (Sundar kand) का पाठ नियमित रूप से करते हैं। हनुमान जी एक वानर थे, फिर भी वह समुद्र की लाँघ कर लंका पहुँच गए, वहां सीता माता की खोज की, लंका को जलाया, सीता माता का सन्देश लेकर श्री राम के पास लौट आये, इस तरह ये एक भक्त की जीत का काण्ड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर गया। इसके अलावा, सुन्दरकाण्ड (Sundar kand) में महत्त्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं, इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड (Sundar kand) को सर्वश्रेष्ठ मन जाता है।