जय जय जय गणपति गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभ काजू ॥
जय गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायक बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन ।
तिलक त्रिपुण्ड भल मन भावन ॥
राजित मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥