ऋतुओं के संधिकाल में नवरात्रों का आयोजन वास्तव में मनुष्य के बाहय और आंतरिक परिवर्तन में संतुलन स्थापित करना है। नवरात्रों का आयोजन हमे ये अवसर प्रदान करता है कि हम परिवर्तन को स्वीकार कर न केवल अपना अस्तित्व बचाएं रखे निरंतर जीवनशैली में सामंजस्य स्थापित कर आगे बढ़ते रहें ।