दीवाली | Diwali: A Festival of Lights, Pujan Vidhi, Significance, Stories

दीवाली (Diwali: A Festival of Lights)

कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला पर्व दीवाली/दीपावली (Diwali/Deepawali)  एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह (धनतेरस (Dhanteras), नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi ), दीवाली (Diwali)गोवर्धन  पूजा (Gowardhan Pooja) और भाई दूज (Bhai Dooj) है। भारतीयों का विश्वास है कि ‘दीपों का त्यौहार’ दीवाली झूठ पर सत्य, सब बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय का प्रतीक है। हिन्दू धर्म के अलावा अन्य धर्म के लोग भी यह प्रकाश-पर्व दीवाली हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। मान्यता है कि दीपों से सजी इस रात में लक्ष्मीजी (Lakshmi ji) भ्रमण के लिए निकलती हैं और अपने भक्तों को खुशियां बांटती हैं।

दीवाली 19 अक्टूबर 2017 (गुरुवार) | लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (Lakshmi Pooja Mahurt) = 7:२6 pm. – 8:25 pm.

कई सप्ताह पूर्व ही स्वच्छता व प्रकाश के पर्व की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। इस दिन घरों में सुबह से ही तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। बाज़ारों में खील-बताशे, मिठाइयाँ, खांड़ के खिलौने, दीपक, लक्ष्मी-गणेश आदि की मूर्तियाँ,आतिशबाजी और पटाखे मिलने लगते हैं। सुबह से ही लोग रिश्तेदारों, मित्रों, सगे-संबंधियों के घर मिठाइयाँ व उपहार बाँटने लगते हैं। दीपावली की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी के साथ-साथ भक्त बाधाओं को दूर करने के प्रतीक गणेश; संगीत-साहित्य की प्रतीक सरस्वती (Saraswati); और धन प्रबंधक कुबेर (Kuber) की पूजा करते हैं।

पूजा के बाद लोग अपने-अपने घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियाँ जलाकर रखते हैं। रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों और चमकते दीपक से बाज़ार व गलियाँ जगमगा उठते हैं। रंग-बिरंगी फुलझड़ियाँ, आतिशबाज़ियाँ, पटाखों व अनारों के जलने का आनंद प्रत्येक आयु के लोग लेते हैं। कार्तिक की अँधेरी रात पूर्णिमा से भी अधिक प्रकाशयुक्त दिखाई पड़ती है।

दीवाली की पौराणिक कथाएं (Mythological Stories of Diwali)

  • प्राचीन हिंदू ग्रन्थ रामायण में बताया गया है कि, 14 साल के वनवास पश्चात भगवान राम (Lord Ram) व पत्नी सीता (Sita) और उनके भाई लक्ष्मण(Lakshaman) की वापसी की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए। सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी।
  • हिन्दू महाकाव्य महाभारत (MahaBharat) अनुसार कुछ दीपावली को 12 वर्षों के वनवास व 1 वर्ष के अज्ञातवास के बाद पांडवों(Pandav) की वापसी के प्रतीक रूप में मानते हैं।
  • हिंदु दीपावली को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पत्नी तथा धन-समृद्धि की देवी लक्ष्मी (Laxmi) से जुड़ा हुआ मानते हैं। देवताओं व राक्षसों द्वारा सागर मंथन (Sagar Manthan) से पैदा हुई माँ लक्ष्मी का जन्म दिवस है। दीपावली की रात वह दिन है जब लक्ष्मी ने अपने पति के रूप में विष्णु को चुना और फिर उनसे शादी की।
  • पश्चिम बंगाल में दिवाली की रात को महानिशा अर्थात माँ काली(Maa Kali) की पूजा भक्ति भाव के साथ की जाती है।

दीवाली का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance of Diwali)

  • जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर, महावीर स्वामी(Mahavir Swami) को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के ‘मोक्ष दिवस (Moksh Diwas)‘ के रूप में मनाते हैं।
  • सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन 1577 में अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। इसके अलावा इसी दिन 1619 में सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी(Guru Govind Singh Ji) को जेल से रिहा किया गया था। सिख समुदाय इसे बंदी छोड़ दिवस (Bandi Chhor Divas) के रूप में मनाता है।
  • स्वामी रामतीर्थ (Swami Ramtirth) का जन्म व महाप्रयाण (समाधि) दोनों दीवाली के दिन ही हुआ। इन्होंने गंगातट पर इसी दिन स्नान करते समय ‘ओम (Om)’ कहते हुए समाधि ले ली।
  • महर्षि दयानन्द (Maharshi DayaNand) ने भारतीय संस्कृति के महान जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट अवसान लिया। इन्होंने आर्य समाज (Arya Samaj) की स्थापना की।
  • मुगल सम्राट अकबर (Akbar) के शासनकाल में दीपावली के दिन दौलतखाने के सामने 40 गज ऊँचे बाँस पर एक बड़ा आकाशदीप लटकाया जाता था।
  • बादशाह जहाँगीर (Jahnagir) और मुगल वंश के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Jafar) भी दीपावली धूमधाम से मनाते थे और इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में वे भाग लेते थे।
  • शाह आलम द्वितीय (Shah Alam Dwitiya) के समय में समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था एवं लालकिले (Red Fort) में आयोजित कार्यक्रमों में हिन्दू-मुसलमान दोनों भाग लेते थे।

Diwali Poojan Kit…….

दीवाली पूजन विधि (Diwali Pujan Vidhi)

लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल (Pradosh Kal) के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है। सबसे पहले पूजा स्थान को साफ कर एक चौकी(Bench) पर लाल कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अलावा 11-21-51 अथवा अधिक छोटे दीपक रखें।

कलश-स्थापना(Kalash sthapana) : गणेश जी का स्मरण करके जल से भरा हुआ कलश को लक्ष्मीजीे पास थोड़े से चावलों पर रखें। कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधकर उसके चारो तरफ कलश पर रोली से स्वस्तिक या ॐ बना ले। कलश के अंदर साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल, सिक्का डालें। उसके ऊपर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए। नारियल के ऊपर मोली लपेटकर कलश पर रख दें।

भगवान गणेश नवीन मूर्ति की पूजा: इसके पश्चात सम्पूर्ण स्नान कराकर, श्री गणेश को पीले रंग का रेशमी वस्त्र पहनाना चाहिए। फिर यज्ञोपवीत (Janeu) प्रदान करें।
श्रंगार के लिए विभिन्न प्रकार के आभूषण(Ornaments) से अलंकृत करना चाहिए।
सुगन्धित द्रव्य (गंध या इत्र) का अर्पण करें। तत्पश्चात सिन्दूर,चन्दन,अक्षत (Rice), रोली, पुष्प माला, शमी पत्र व दुर्वाङ्कुर (तीन अथवा पाँच पत्र वाला दूर्वा) चढ़ायें।
भगवान गणेश को नैवेद्य (मोदक,लडडू व फल) और जल समर्पित करें। ताम्बूल (पान, सुपारी व इलाइची के साथ) व नारियल चढ़ायें।

माता लक्ष्मी की नवीन मूर्ति की पूजा:  इसके पश्चात सम्पूर्ण स्नान कराकर, श्री को लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र (Poshak) पहनाना चाहिए। श्रंगार के लिए विभिन्न प्रकार के आभूषण (Ornaments) से अलंकृत करना चाहिए। सुगन्धित द्रव्य (गंध या इत्र: केवड़ा, गुलाब, चंदन) का अर्पण करें।
तत्पश्चात सिन्दूर,लाल चन्दन, कुमकुम, अबीर-गुलाल व अक्षत (Rice) चढ़ायें। फिर कमल व गुलाब के पुष्प एवं पुष्पमाला, विल्व, कमल गट्टा तथा तुलसी-दल चढ़ायें।
नैवेद्य (लडडू, मिठाई, हलवा, खील,बतासे, खांड़ के खिलौने व फल) और जल समर्पित करें। ताम्बूल (पान, सुपारी व इलाइची के साथ) व नारियल चढ़ायें।

तत्पश्चात भगवान विष्णु पूजा, महाकाली पूजा (लेखनी-दावात पर महा-काली पूजा), सरस्वती पूजा (बही-खाते पर सरस्वती पूजा), कुबेर पूजा (तिजोरी-बक्से पर श्रीकुबेर पूजा) पंचोपचार पूजन विधि (Panchpchar Poojan Vidhi) से संपन्न करनी चाहिए। (*पंचोपचार पूजन: 1.भगवान की मूर्ति या फोटो का स्नान व श्रंगार। 2.फिर पत्र-पुष्प चढ़ाते  है। 3.धूप व अगरबत्ती से वातावरण सुगन्धित बनाते है। 4.दीप जलाकर आरती करते है। 5.नैवेद्य/भोग चढ़ाते है।)

इसके तत्पश्चात दीप, धूप और कर्पूर से भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की आरती व स्तुति करनी चाहिए। फिर दक्षिणा प्रदान कर नमस्कार करना चाहिए।

One thought on “दीवाली | Diwali: A Festival of Lights, Pujan Vidhi, Significance, Stories

  1. Dheepika

    Great post! It’s really awesome.

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